Aja Ka Mausama Ka Hala | It's Not Just Heat
चलिए, एक कप चाय या कॉफ़ी लेकर बैठते हैं। बाहर खिड़की से झाँकिए। क्या दिख रहा है? शायद तेज़ धूप, या फिर उमस भरे बादल, या हो सकता है अचानक आई बारिश की बौछारें। हम रोज़ सुबह उठकर फ़ोन पर चेक करते हैं – ” aaj ka mausam ka hala “। 38 डिग्री… 42 डिग्री… बारिश की 70% संभावना। बस, हो गया।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि यह सिर्फ़ एक नंबर नहीं है? यह एक कहानी है। एक ड्रामा है जो हमारे सिर के ऊपर आसमान में हर पल चल रहा है। और सच कहूँ तो, इसे समझना किसी थ्रिलर फ़िल्म से कम नहीं है।
यहाँ बात सिर्फ़ यह जानने की नहीं है कि आज छाता लेकर निकलना है या सनस्क्रीन लगानी है। बात है उस ‘क्यों’ को समझने की। क्यों इस साल गर्मी इतनी ज़्यादा महसूस हो रही है? क्यों बारिश का पैटर्न बदला-बदला सा लग रहा है? मैं यहाँ आपको सिर्फ़ मौसम का हाल बताने नहीं, बल्कि मौसम का विश्लेषक (analyst) बनाने आया हूँ। तो चलिए, इस कहानी के किरदारों से मिलते हैं।
सबसे पहले तो यह समझ लीजिए कि मौसम कोई रैंडम चीज़ नहीं है। यह शतरंज के खेल जैसा है, जिसके कुछ बड़े और कुछ छोटे खिलाड़ी हैं। भारत के मौसम के सबसे बड़े खिलाड़ी हैं:
ये तो बस मुख्य किरदार हैं। इनके अलावा भी कई छोटे-मोटे फैक्टर्स होते हैं, जैसे समुद्र का तापमान, हवा का दबाव, और हमारे शहरों का कंक्रीट जंगल, जो मिलकर तय करते हैं कि आज का मौसम का हाल कैसा रहेगा। यह समझने की प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसे कोईUPSC की तैयारीकर रहा हो – हर छोटे-बड़े पहलू पर नज़र रखनी पड़ती है।
आजकल दो शब्द बहुत सुनने को मिल रहे हैं – ‘भीषण हीटवेव’ और ‘प्री-मॉनसून बौछारें’। चलिए, इनके बीच का फ़र्क समझते हैं, क्योंकि यहीं पर असली कहानी छिपी है।
जब मौसम विभाग ‘हीटवेव’ की चेतावनी देता है, तो इसका मतलब सिर्फ़ ‘गर्मी’ नहीं है। इसका मतलब है कि एक ‘हीट डोम’ (Heat Dome) बन गया है। इसे ऐसे समझिए – जैसे किसी बर्तन पर ढक्कन रख दिया हो, वैसे ही वायुमंडल में उच्च दबाव (High Pressure) एक ढक्कन बना देता है, जो ज़मीन की सारी गर्मी को वहीं कैद कर लेता है। हवा चलनी बंद हो जाती है, उमस बढ़ जाती है और तापमान रिकॉर्ड तोड़ने लगता है। यह एक खतरनाक स्थिति है और इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।
लेकिन फिर अचानक शाम को बादल घिर आते हैं, तेज़ हवा चलती है और थोड़ी बारिश हो जाती है। यह क्या है? यह है प्री-मॉनसून।
यह मॉनसून का ट्रेलर है। जब ज़मीन बहुत ज़्यादा तप जाती है, तो गर्म हवा ऊपर उठती है और थोड़ी-बहुत नमी के साथ मिलकर बादल बनाती है। यह बारिश अक्सर थोड़ी देर के लिए, लेकिन बहुत तेज़ी से होती है। बंगाल में इसे ‘काल बैसाखी’ कहते हैं, तो दक्षिण में यह ‘मैंगो शावर’ (आम की फसल के लिए अच्छी) कहलाती है।
तो अगली बार जब आप weather forecast India देखें, तो सिर्फ तापमान पर नहीं, इन शब्दों पर ध्यान दें। क्या ‘हीटवेव अलर्ट’ है या ‘प्री-मॉनसून थंडरस्टॉर्म’ की संभावना? दोनों का मतलब और आपके लिए तैयारी बिल्कुल अलग होगी।
चलिए, अब आपको कुछ प्रो-टिप्स देता हूँ ताकि आप सिर्फ़ मौसम का हाल जानने वाले नहीं, बल्कि उसे समझने वाले बनें।
यह जानना कि सिस्टम कैसे काम करता है, आपको किसी भी स्थिति के लिए बेहतर तरीके से तैयार करता है। यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसेकिसी कंपनी के शेयर प्राइसको समझना – सतह पर जो दिखता है, असली कहानी उसके पीछे के fundamentals में छिपी होती है। सबसे सटीक जानकारी के लिए हमेशाभारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)की वेबसाइट या उनके ‘Mausam’ ऐप को फॉलो करें। वे ही इस खेल के असली रेफ़री हैं।
इसका कारण है आर्द्रता या नमी (Humidity)। जब हवा में नमी ज़्यादा होती है, तो हमारे शरीर का पसीना आसानी से वाष्पित नहीं हो पाता। पसीना ठंडा करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। जब यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है, तो हमें असल तापमान से कहीं ज़्यादा गर्मी महसूस होती है। इसीलिए आज का मौसम उमस भरा होने पर ज़्यादा चिपचिपा और असहनीय लगता है।
प्री-मॉनसून बारिश लोकल गर्मी के कारण, कम समय के लिए और अक्सर गरज-चमक के साथ होती है। यह कुछ इलाकों तक ही सीमित रहती है। वहीं, मॉनसून एक बहुत बड़ा, व्यापक सिस्टम है जो नमी से भरी हवाओं के कारण होता है और कई दिनों या हफ्तों तक लगातार, धीरे-धीरे बारिश करता है। मॉनसून अपडेट पूरे देश के लिए जारी किया जाता है।
कई प्राइवेट ऐप्स अच्छे हैं, लेकिन सबसे प्रामाणिक और भरोसेमंद जानकारी भारत सरकार के IMD weather (India Meteorological Department) द्वारा दी जाती है। आप उनकी वेबसाइट (mausam.imd.gov.in) या उनके ऑफिशियल ऐप्स (Mausam, Damini, Meghdoot) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों और मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण मौसम की चरम घटनाओं (Extreme Weather Events) जैसे कि तीव्र हीटवेव, बेमौसम भारी बारिश, और चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ रही है। इसलिए, जो पैटर्न हमें अब ‘असामान्य’ लग रहे हैं, वे आने वाले समय में ‘न्यू नॉर्मल’ हो सकते हैं।
सबसे ज़रूरी है हाइड्रेटेड रहना। खूब पानी, नींबू पानी, और लस्सी पिएं। दिन के सबसे गर्म समय (सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे) में बाहर निकलने से बचें। हल्के रंग के, ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनें। अगर बाहर निकलना ज़रूरी हो तो सिर को ढक कर रखें।
तो अगली बार जब कोई आपसे पूछे, ” aaj ka mausama ka hala क्या है?”, तो उसे सिर्फ़ तापमान मत बताइएगा। उसे बताइएगा कि कैसे अरब सागर से उठी हवाएं, या राजस्थान से चली ‘लू’ आज के दिन की कहानी लिख रही हैं।
क्योंकि मौसम सिर्फ़ एक नंबर नहीं है। यह हमारे ग्रह की, हमारे देश की और हमारे शहर की एक जीती-जागती, सांस लेती हुई कहानी है। और इस कहानी को समझना हमें सिर्फ़ सुरक्षित ही नहीं रखता, बल्कि हमें अपने आस-पास की दुनिया से और भी गहराई से जोड़ता है।
Every year, around budget time, the air gets thick with a specific kind of chatter.…
You know the one. The brownish-grey dog with one floppy ear that sleeps under the…
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